मजदूरी के नाम पर जीने लायक वेतन भी नहीं: गौरव दीक्षित
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर | ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एटक) के बैनर तले कानपुर मजदूर सभा भवन ग्वालटोली में विश्व मजदूर दिवस पर काम के घंटे और निश्चित वेतन पर चर्चा हुई। एटक के अध्यक्ष असित कुमार सिंह ने कहा कि दुनिया भर में मज़दूर के अधिकारों को प्राप्त जबरन सरकारें छीनने का काम कर रही हैं। मजदूर दिवस की शुरुआत 1886 में अमेरिका के शिकागो में हुई थी, जहां श्रमिकों ने 8 घंटे कार्य दिवस की मांग को लेकर आंदोलन किया था। जिससे पूरे विश्व में सरकारों को 8 घंटे काम करने का कानून बनाना पड़ा था। भारत सरकार ने मजदूरों के हितों और अधिकारों की सुरक्षा के लिए तमाम श्रम कानून बनाए जिन्हें वर्तमान सरकार धन्ना सेठों के हित में खत्म कर रही है।
महामंत्री गौरव दीक्षित ने बताया कि आज का दिन मेहनतकश वर्ग के सम्मान, अधिकारों और योगदान को रेखांकित करने का प्रतीक बन चुका है। आज मजदूरों से हर दिन 12 घंटे का काम लिया जा रहा है और मजदूरी के रूप में सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम वेतन भी नहीं दिया जा रहा है। कॉर्पोरेट घरानों के पैरोकार सप्ताह में 70 से 90 घंटे मजदूरों से काम लिए जाने की वकालत कर रहे हैं और मजदूरी के नाम पर जीने लायक वेतन भी नहीं है।
"काम बांधो दाम बांधों" का नारा मजदूरों के काम के बदले उचित वेतन और शोषण से मुक्ति की मांग करता है। यह उन्हें एकजुट होकर अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करने के लिए प्रेरित करता है। हम संकल्प लेते है कि 20 मई को देशव्यापी औद्योगिक हड़ताल को सफल बना कर शिकागो और भारत के मज़दूर शहीदों की शहादत बेकार नहीं होने देंगे। पहलगाम आतंकी हमले निर्दोष लोगों की हत्याओं पर निंदा करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की गई। चर्चा में प्रमुख रूप से बी. के. अवस्थी, रामप्रसाद कनौजिया, ओमप्रकाश आनंद, अंजली शर्मा, रंजना मिश्रा, शुभम शुक्ला, नीरज यादव, नरेश राजपूत, विक्रम गोस्वामी, नूर आलम, सुनील कुमार सिंह,पवन शुक्ला, डॉक्टर ओमेंद्र कुमार वर्मा,ओपी रावत, सुनीता कुमारी, मो्. इकराम,आदि शामिल रहे।