स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग में “डे केयर एनीमिया वार्ड” की हुई स्थापना
U- एफसीएम थरेपी एनीमिया से पीड़ित गर्भवती महिलाओं के लिए होगी कारगर साबित
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज, कानपुर के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग द्वारा गर्भवती महिलाओं में एनीमिया की बढ़ती समस्या को ध्यान में रखते हुए “डे केयर एनीमिया वार्ड” की स्थापना की गई है। इसका उद्घाटन कॉलेज के प्राचार्य डॉ. संजय काला के मार्गदर्शन में विभाग अध्यक्ष डॉ रेनू गुप्ता , वरिष्ठ संकाय सदस्यों एवं एक मरीज कहकशां द्वारा किया गया। कहकशां के लिए एफसीएम इंजेक्शन एक वरदान साबित हुआ है। इस इंजेक्शन के द्वारा उसका हीमोग्लोबिन 5 ग्राम से बढ़कर 9 ग्राम हो गया है।
स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाध्यक्ष डॉ रेनू गुप्ता ने बताया कि इस वार्ड की स्थापना का मकुख्य उद्देश्य मध्यम श्रेणी के एनीमिया से पीड़ित गर्भवती महिलाओं को चिन्हित कर , सुरक्षित, प्रभावशाली और त्वरित उपचार प्रदान करना है। यहां पर एफसीएम (फेरिक कार्बोक्सी मेल्टॉस) इंजेक्शन से महिलाओं का इलाज किया जाएगा, जिसकी पूरी लागत जिव दया फाउंडेशन द्वारा वहन की जाएगी। उन्होंने बताया कि भारत में हर दूसरी गर्भवती महिला एनीमिया से ग्रसित है, जो गर्भावस्था में अनेक जटिलताओं का कारण बनता है। इसमें अत्यधिक थकान, चक्कर आना, प्रसव पूर्व रक्तस्राव, समयपूर्व प्रसव, कम वजन के शिशु का जन्म और संक्रमण की आशंका बढ़ जाती है। यह भी देखा गया है कि एनीमिया मातृ मृत्यु दर का एक प्रमुख कारण है। ऐसे में एनीमिया से पीड़ित महिलाओं को शीघ्र और प्रभावशाली उपचार देना अत्यंत आवश्यक है। एफसीएम थेरेपी की खासियत यह है कि यह शरीर में आयरन की त्वरित पूर्ति करती है, जिससे हीमोग्लोबिन का स्तर जल्दी बढ़ता है। यह अन्य आयरन थेरेपी की तुलना में अधिक सुरक्षित और कम दुष्प्रभावों वाली है। अक्सर एक ही खुराक से अच्छा सुधार देखने को मिलता है, जिससे गर्भवती महिला की ऊर्जा, स्वास्थ्य और मानसिक स्थिति में तेजी से सुधार आता है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि समय रहते एनीमिया का उपचार करने से रक्त चढ़ाने की आवश्यकता में भारी कमी आती है, क्योंकि देश में रक्त की उपलब्धता सीमित है और स्वैच्छिक रक्तदान की दर भी कम है। लगभग 60ः गर्भवती महिलाएं एनिमिक होती हैं और औसतन प्रति माह विभाग को 250 से 300 रक्त यूनिट्स की आवश्यकता एनिमिक गर्भवती महिलाओं के उपचार में पड़ती है । इस प्रकार एफसीएम थेरेपी न केवल माताओं के जीवन की रक्षा करती है, बल्कि मूल्यवान रक्त संसाधनों की भी बचत करती है। इसी क्रम में डॉ शैली अग्रवाल ने बताया कि डे केयर यूनिट एनीमिया के खिलाफ एक मजबूत पहल है। इससे न केवल गर्भवती महिलाओं का जीवन सुरक्षित होगा बल्कि एक स्वस्थ समाज और भावी पीढ़ी की नींव भी मजबूत होगी। “एनीमिया मुक्त भारत” की दिशा में की ओर एक सशक्त कदम साबित होगा। कार्यक्रम में मुख्य रूप से डॉ नीना गुप्ता , ,सीएमएस डॉ अनीता गौतम ,डॉ सीमा द्विवेदी,डॉ बंदना शर्मा,डॉ पाविका लाल,डॉ गरिमा गुप्ता डॉ प्रज्ञा, डॉ दिव्या द्विवेदी,डॉ प्रतिमा वर्मा व डॉ दीपक आनंद मौजूद रहे।