ब्रेस्ट मिल्क एक्सप्रेशन रूम की हुई स्थापना, शिशुओ को मां का दूध मिलने में होगा सहायक
U- 100 -150 एनरआईसीयू में भर्ती बच्चों में 30 फीसदी बच्चे नही पीते है मां का दूध
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर। जीएसवीएम मेडिकल कालेज के सम्ब्ंद्ध हैलट अस्पताल के बाल रोग विभाग में लेक्टेशन मैनेजमेंट यूनिट के अंतर्गत ब्रेस्ट मिल्क एक्सप्रेशन रूम का उद्घाटन कालेज प्राचार्य प्रो. डॉ संजय काला एवं इल्याना डाजूबा सहायक निदेशक हार्वर्ड यूनिवर्सिटी एरिडेना लैब के द्वारा किया गया। यह यूनिट कम्युनिटी एम्पावरमेंट लैब के सहयोग से स्थापित की गई है।
मेडिकल कालेज प्राचार्य प्रो. डॉ संजय काला ने बताया कि यह यूनिट केवल एक चिकित्सकीय सुविधा नहीं, बल्कि एक माँ के आत्मविश्वास, सुख और शिशु के जीवन की रक्षा का माध्यम बनेगी एवं शिशु मृत्यु दर को घटाने में सहायक होगी। इसी क्रम में विभागाध्यक्ष बाल रोग डॉक्टर शैलेंद्र गौतम ने बताया की इस यूनिट की स्थापना एनआईसीयू के पास ही गायनी विभाग में की गई है जिससे माताएं ब्रेस्ट एक्सप्रेशन रूम में आकर अपना दूध अपने शिशु तक आसानी से पहुंचा सके। उन्होंने बताचा कि हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से इस यूनिट के लिए दो इलेक्ट्रिक ब्रेस्ट पंप और दस मैनुअल ब्रेस्ट पंप प्राप्त हुए हैं। इन उपकरणों की सहायता से माँ के दूध का संग्रहण कर, उसे समय रहते उसके शिशु तक एनआईसीयू में पहुँचाने में सक्षम होंगे। स्त्री एवं प्रसूति रोग विभागध्यक्ष डॉ रेनू गुप्ता ने बताया कि इन परिस्थितियों में गायनी विभाग एवं बाल रोग विभाग का मिला-जुला प्रयास है कि माँ का अमूल्य स्तन दूध किसी भी स्थिति में शिशु तक पहुँचे। इसके लिए इस यूनिट में एक ’ब्रेस्ट मिल्क “एक्सप्रेशन रूम”’ की स्थापना की गई है, जहाँ माताएं सुरक्षित और सम्मानजनक वातावरण में अपने दूध का संग्रहण कर सकेंगी, जिसे तत्परता से एनआईसीयू तक पहुँचाया जाएगा। इस पहल के अंतर्गत माताओं को सहयोग दिया जाएगा जिसका केंद्र बिंदु उन माताओं की सहायता करना है, जिन्हें स्तनपान कराने में कठिनाई होती है। जैसे कि जिनका दूध पर्याप्त नहीं उतरता, या जिनके शिशु जन्म के बाद किसी चिकित्सकीय कारणवश नवजात गहन चिकित्सा इकाई (एनआईसीयू) में भर्ती हो जाते हैं, जिससे माँ और शिशु के बीच शारीरिक दूरी बन जाती है। यह यूनिट माताओं को न केवल तकनीकी सहायता प्रदान करेगी, बल्कि उन्हें स्तनपान की विभिन्न स्थितियाँ (ब्रेस्ट फिडिंग पोजिशन), दूध निकलने की विधियाँ, और लैक्टेशन मैनेजमेंट से जुड़ी सभी महत्त्वपूर्ण जानकारियाँ भी दी जाएँगी। पहली बार माँ बनने वाली महिलाओं की आशंकाओं और कठिनाइयों का समाधान कर, उन्हें भावनात्मक और व्यवहारिक सहयोग प्रदान किया जाएगा। वहीं पूर्व ्रबाल रोग विभागध्यक्ष प्रोफेसर डॉ अरुण आर्य ’ने बताया कि इस यूनिट की स्थापना में कम्युनिटी एम्पावरमेंट लैब का विशेष सहयोग रहा जो हार्वर्ड के साथ मिलकर एक अध्ययन कर रहे है जिसका उद्देश्य समय से पहले जन्मे प्री म्योचोर एवं कम वजन के शिशुओं की बेहतर देखभाल और उनकी मां का दूध उपलब्ध कर इनकी मृत्यु दर को कम करना है। इस मौके पर पूर्व बाल रोग विभागध्यक्ष डॉ यशवंत राव , स्त्री एवम प्रसूति रोग विभाग की सीएमएस डॉ अनिता गौतम, पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ नीना गुप्ता,समेत समस्त गायनी और बाल रोग के संकाय सदस्य उपस्थित रहे।
इलेक्ट्रनिक पम्प मां का दूध निकालने में बनेगा सहायक
बाल रोग विभागध्यक्ष प्रो. डॉ शैलेन्द्र कुमार गौतम ने बताया कि संस्था द्वारा दिए गए पम्प से मां के स्तन से दूध निकालने में सहायक होगा। जोकि रूम के तापमान में 6 घंटे , फ्रिज में 24 घंटे व ड्रिफ फ्रिज में 6 माह तक स्टोर कर रखा जा सकेगा। जिससे होने वाले प्री म्योचोर बच्चो को मां का दूध मिल सकेगा जिससे उनके स्वास्थ्य में सुधार होगा तथा उनके शरीर का विकास करने में सहायक सिद्ध होगा।