हरिश-चंद्र की 102वीं जयंती पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला |
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर | कुलपति प्रोफेसर विनय कुमार पाठक एवं प्रोफेसर आर. के. द्विवेदी, निदेशक, स्कूल ऑफ बेसिक साइंसेज़ के मार्गदर्शन में, हरिश-चंद्र अनुसंधान केंद्र, स्कूल ऑफ बेसिक साइंसेज़, छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर द्वारा हरिश-चंद्र की 102वीं जयंती एवं उनकी अद्भुत गणितीय विरासत के उपलक्ष्य में दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई माननीय प्रो वाइस चांसलर, प्रोफेसर सुधीर कुमार अवस्थी ने, जिन्होंने अपने उद्बोधन में गणित और जीवविज्ञान के बीच की अंतःविषयक कड़ी पर प्रकाश डाला तथा विद्यार्थियों और शोधार्थियों को नवाचार हेतु अंतःविषयक अनुसंधान करने के लिए प्रेरित किया। इस कार्यशाला में विभिन्न महाविद्यालयों और विभागों के विद्यार्थियों, शोधार्थियों एवं संकाय सदस्यों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। पहले दिन, विद्यार्थियों ने अपने शोध कार्यों को मौखिक एवं पोस्टर प्रस्तुति के माध्यम से प्रस्तुत किया। इस अवसर पर प्रोफेसर टी. एन. त्रिवेदी, सेवानिवृत्त प्रोफेसर, वी.एस.एस.डी. कॉलेज, कानपुर ने व्याख्यान देते हुए हरिश-चंद्र के गहन गणितीय सिद्धांतों तथा उनकी आधुनिक गणित में प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। दूसरे दिन, आईआईटी कानपुर के आर्थिक विज्ञान विभाग के प्रोफेसर जॉयदीप दत्ता ने “टेल्स ऑफ कॉन्वेक्स ऑप्टिमाइजेशन” विषय पर विशेष व्याख्यान दिया। उन्होंने अपने व्याख्यान में गणितीय सिद्धांतों की अंतःविषयक प्रकृति और उनके आर्थिक विज्ञान तथा अनुकूलन सिद्धांत में व्यापक उपयोग को सुंदर रूप से प्रस्तुत किया।प्रोफेसर दत्ता ने विद्यार्थियों के साथ संवाद किया, उनके प्रश्नों के उत्तर दिए तथा हरिश-चंद्र अनुसंधान केंद्र का भ्रमण कर भविष्य के शैक्षणिक विकास हेतु बहुमूल्य सुझाव दिए। श्रेष्ठ मौखिक एवं पोस्टर प्रस्तुतियों के लिए विद्यार्थियों को पुरस्कृत भी किया गया, जिससे उनके नवाचार और अनुसंधान क्षमता को प्रोत्साहन मिला। यह दो दिवसीय कार्यशाला एक प्रेरणादायक शैक्षणिक आयोजन सिद्ध हुई, जिसने वैज्ञानिक जिज्ञासा को प्रोत्साहित किया तथा गणित के क्षेत्र में हरिश-चंद्र के अद्वितीय योगदानों को स्मरण किया। कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ. अंजु दीक्षित, उप निदेशक तथा डॉ. पी. एन. पाठक, संयोजक, गणित विभाग एवं स्कूल ऑफ बेसिक साइंसेज़, छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर के सभी गणित संकाय सदस्यों के सहयोग से किया गया।
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