आईआईटी में मेटामटेरियल एंटेना और अनुप्रयोगों पर राष्ट्रीय कार्यशाला का समापन
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर | भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग ने मेटामटेरियल एंटेना और अनुप्रयोगों पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का सफलतापूर्वक समापन किया। आई आई टी कानपुर में डीआरडीओ-इंडस्ट्री-एकेडेमिया सेंटर ऑफ एक्सलन्स के तत्वावधान में आयोजित इस कार्यशाला में शिक्षा जगत, उद्योग और रक्षा अनुसंधान के प्रमुख लोग एंटीना तकनीक में अत्याधुनिक विकास की खोज के लिए एक साथ आए।
कार्यक्रम को साइट टेक्नोलॉजीज, एग्माटेल, रोहडे एंड श्वार्ट्ज, एनरित्सु, IEEE UP सेक्शन, IEEE APS स्टूडेंट ब्रांच चैप्टर (SBC) और IEEE UP चैप्टर द्वारा सह-प्रायोजित किया गया।
डीआरडीओ मुख्यालय के डीएस एवं डीजी (टीएम) श्री एल. सी. मंगल ने मुख्य अतिथि के रूप में इस कार्यशाला का उद्घाटन किया तथा रक्षा एवं नागरिक क्षेत्रों में उनके अनुप्रयोगों पर प्रकाश डालते हुए "बहुक्रियाशील आरएफ उपकरण एवं प्रणाली" पर मुख्य भाषण दिया। उद्घाटन समारोह में आईआईटी कानपुर के डीन आरएंडडी प्रोफेसर तरुण गुप्ता, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रमुख एवं IEEE UP चेयर प्रोफेसर योगेश सिंह चौहान तथा आईआईटी कानपुर के डीआईए-सीओई के निदेशक संजय टंडन सहित वरिष्ठ गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे ।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए DRDO मुख्यालय से DS और DG (TM) एल. सी. मंगल ने कहा, “मेटामटेरियल और अगली पीढ़ी के एंटीना सिस्टम रक्षा और नागरिक संचार प्रौद्योगिकियों में नए आयाम खोल रहे हैं। यह कार्यशाला नवाचार को गति देने में शिक्षा-उद्योग-सरकार के सहयोग के महत्व पर विचार-विमर्श करने का एक अच्छा माध्यम रहा। आई आई टी कानपुर अपनी विभिन्न पहलों के माध्यम से प्रतिभा को पोषित करने और राष्ट्रीय रणनीतिक लक्ष्यों के साथ संरेखित अनुसंधान को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।”उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए आईआईटी कानपुर के डीन आरएंडडी प्रोफेसर तरुण गुप्ता ने कहा, “इस तरह की कार्यशालाएं अनुसंधान को वास्तविक दुनिया में प्रभाव में बदलने के लिए महत्वपूर्ण हैं। डीआरडीओ, उद्योग के लीडरों और अकादमिक विशेषज्ञों को एक साथ लाकर हम एक गतिशील पारिस्थितिकी तंत्र बना रहे हैं, जो स्वदेशी प्रौद्योगिकियों के विकास को गति देगा। आईआईटी कानपुर अपने अनुसंधान प्रयासों को राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के साथ रणनीतिक रूप से संरेखित करते हुए ज्ञान को आगे बढ़ाने पर बहुत केंद्रित है।”
आईआईटी कानपुर के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर राघवेंद्र कुमार चौधरी और प्रोफेसर कुमार वैभव श्रीवास्तव द्वारा समन्वित इस कार्यशाला में डीआरडीओ प्रयोगशालाओं के वैज्ञानिकों, भारत के सभी आईआईटी के संकाय और उद्योग विशेषज्ञों सहित प्रतिष्ठित विशेषज्ञों के व्याख्यान के साथ 13 तकनीकी सत्र शामिल रहे। वहीं, मुख्य वक्ताओं में डॉ. आशुतोष केदार (एलआरडीई), डॉ. प्रमेन्द्र कुमार वर्मा (डीईएएल) और आईआईटी पटना, आईआईटी जम्मू, आईआईटी इंदौर और बीईएल गाजियाबाद के विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया। साथ ही कार्यशाला में 55 से अधिक संस्थानों के 125 प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिनमें विभिन्न आईआईटी, आईआईआईटी, एनआईटी, केंद्रीय/राज्य विश्वविद्यालय, इंजीनियरिंग कॉलेज, सीएसआईआर लैब और एलआरडीई और डीईएएल के डीआरडीओ वैज्ञानिक शामिल हैं। उपस्थित लोगों में अनुसंधान वैज्ञानिकों और उद्योग के पेशेवरों के साथ-साथ स्नातक, स्नातकोत्तर और डॉक्टरेट विद्वानों का विविध मिश्रण था। कार्यक्रम में माइक्रोवेव लैब, एमएमवेव रिसर्च लैब, ईएमआई/ईएमसी लैब, मेडटेक लैब और एयरस्ट्रिप सुविधा सहित आईआईटी कानपुर की उन्नत अनुसंधान सुविधाओं का निर्देशित दौरा भी शामिल था, जिससे प्रतिभागियों को अत्याधुनिक प्रयोगात्मक बुनियादी ढांचे के बारे में बहुमूल्य जानकारी मिली।